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अपने मुंह मिट्ठू बने-ऐसा करो न काम मिले गवाही लोग से सुन्दर जिनके नाम

संदीप कुमार सिंह 14 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6966 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
अपने मुंह मिट्ठू बने, ऐसा करो न काम।
मिले गवाही लोग से, सुन्दर जिनके नाम।।

अपने मुंह मिट्ठू बने,हाँके खाली झूठ।
फँसना कभी न यार जी,थाम सत्य की मूठ।।

अपने मुंह मिट्ठू बने,लिए झूठ को साथ।
बेवकूफ समझे हमें,रखें दूर सो हाथ।।

अपने मुंह मिट्ठू बने,ऐसा करना गल्फ।
राह सत्य का नित चलें,ले ले अब यह हल्फ।।

अपने मुंह मिट्ठू बने,बात नहीं यह खास।
जो गरजे बरसे नहीं,फिर भी रहती आस।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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