कुमार किशन कीर्ति 07 Apr 2023 कविताएँ दुःखद शाम,तन्हाई 7932 0 Hindi :: हिंदी
ये शाम... उदास है,तन्हा है। जानती हो क्यों? क्योंकि, तुम नहीं हो। ये शाम.... अजीब है, उत्साहहीन है। रंगहीन और अनुपयोगी है। जानती हो क्यों? क्योंकि, हमारी मोहब्बत अधूरी है। ये शाम... अकथ्य है,तन्हाई में भी तन्हा है। जानती हो क्यों? क्योंकि, मैं तुमसे जुदा हूँ। :कुमार किशन कीर्ति,बिहार।