Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

ज्ञान में वृद्धि-अभी बहुत कुछ ग्रहण करना है

DINESH KUMAR SARSHIHA 10 Jun 2023 आलेख समाजिक #ज्ञान,#gyan 6909 0 Hindi :: हिंदी

स्वामी शंकराचार्य समुद्र किनारे बैठकर अपने शिष्य से वार्तालाप कर रहे थे कि एक शिष्य ने चाटुकारिता भरे शब्दों में कहा, "गुरुवर! आपने इतना अधिक ज्ञान कैसे अर्जित किया, यही सोचकर मुझे आश्चर्य होता है। शायद और किसी के पास इतना अधिक ज्ञान का भंडार न होगा!" "मेरे पास ज्ञान का भंडार है, यह तुझे किसने बताया ? मुझे तो अपने ज्ञान में और वृद्धि करनी है।" शंकराचार्य बोले। फिर उन्होंने अपने हाथ की लकड़ी पानी में दुबावी और उसे उस शिष्य को दिखाते हुए बोले, "अभी-अभी मैंने इस अथाह सागर में यह लकड़ी डुबायो, किन्तु उसने केवल एक बूँद ही ग्रहण की। बस यहाँ बात ज्ञान के बारे में है। ज्ञानागार कभी भी भरता नहीं, उसे कुछ न कुछ ग्रहण करना ही होता है। मुझसे भी बढ़कर विद्वान् विद्यमान हैं। मुझे भी अभी बहुत कुछ ग्रहण करना है।"

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

किसी भी व्यक्ति को जिंदगी में खुशहाल रहना है तो अपनी नजरिया , विचार व्यव्हार को बदलना जरुरी है ! जैसे -धर्य , नजरिया ,सहनशीलता ,ईमानदारी read more >>
Join Us: