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वशुधा-अम्बर का अचल साथ

Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक This poem is base on motivation. 14783 0 Hindi :: हिंदी

कर लाख कोशिशें शिद्दत कि, 
मुद्दत से पाए राह किरण! 
वशुधा-अम्बर का अचल साथ, 
दे रही किरण इस वशुधा पर!! 
                         पर किरण न कोई पंख रखे, 
                         अम्बर से छुती वशुधा को! 
                         आनंद कर रही विश्व जगत, 
                         वंदन करते उन करूणा को!! 
अभिधा कि लज़ते बड़-बड़ कर, 
धरती को राह दिखाता है! 
पल भर मे उदित अंधकार हरे, 
धरती का नाज़ कहलाता हैं!! 
                          किरणों के दृश्य सरोवर मे, 
                          तैर रहें हैं ज्ञान अधिक! 
                         अधिकाधिक कर्म प्रबल निष्ठा, 
                         ईस महा समर का नाज उदित!! 
समर समाहर तृप्त प्रबल, 
ये कभी अधर को दिप्त करे! 
लाखो अंधकार हरती ईक क्षण मे, 
गिरकर वशुधा  को लिप्त करे!! 
                  लाखो पर्दों कि जट्टील आभांऐं, 
                  उस गौर्व को मिटा नहीं सकती है! 
                  किरणे दिखलाती राह गुणवता कि, 
                  जिसे बाधा भी हीला नहीं सकती है!! 
हिल रहे पवन पथ पर चल कर, 
बाधाओं का अपना नाज प्रबल! 
सुर्य किरण ढ़ुंढ़ती है वक्त कि कलियां, 
दिखलाने को अपना कर्म अचल!! 
                          ताप गुणों का सामंजस्य, 
                          ज्ञान मान प्रतिष्ठा है! 
                          है अचल मेघला का ये रथी, 
                          प्रमार्थ कि उत्कंठा है!! 
अभिलाषा देती राज धरा को, 
कवियों के कथा उतरायन मे! 
है दिप्त कर रहे मार्ग विजय कि, 
प्रशाद अपने अभीवादन से!! 
                       है युग कि कथा का अचल सार, 
                       अविचलता का विश्व धरोहर है! 
                       है अधम कर्म का पर्म साध,
                       ज्ञान पर्म मन मोहक है!! 
है मन्द मन्द हवा दिप्त गती, 
सुर्य प्रभा का नाज रखे! 
कहीं दिप्त दिप्त चलती है पवन, 
ईक नायक का अन्दाज रखें!! 
                    चल अचल राशियों मे चल कर, 
                    अविचलता देती है शुभाश! 
                    हर तम्स के अंधकार हर लेती है, 
                    किरण कुंज के दिव्य प्रकाश!! 
पर कितने भी परदें लगे किरण पे, 
दबी गती न सुर्य कि इक पल! 
वशुधा-अम्बर का अचल साथ, 
दे रही किरण इस वशुधा  पर!! 
                  रवी किरण कि महा दान है जीवन, 
                  करता जिसको प्राकृती भी नमन! 
                  कर लाख कोशिशें शिद्दत कि, 
                  मुद्दत से पाएं राह किरण!! 
कवी/लेखक   :- अमित कुमार प्रशाद
Poet/Writer   :- Amit Kumar Prasad
কবী/লেখক   :- অমিত কুমার প্রশাদ

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