संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ धार्मिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6418 0 Hindi :: हिंदी
कुंडलिया छंद सब लीला भगवान की,भजन करूं हर रोज। कण कण में श्री हरि रहे, अपने दिल में खोज। अपने दिल में खोज,धाम है प्रभु का मिलता। मन में हो मधु भाव,फूल है अनुपम खिलता। खूब खिले दीवार,लगे उसमें हैं कीला। हैरत है संसार,ईश का है सब लीला।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....