संदीप कुमार सिंह 27 Apr 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत मेरी यह ग़ज़ल समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें एवम् आनंदित भी होंगें। 7621 0 Hindi :: हिंदी
बहर:_2121,1212,22 काफिया:_आए रदीफ:_हैं गज़ल आज शाम नरम हवाए हैं, बेरुखी म अदा जगाए हैं। लोग आज मनों रगों में रख, प्यार सिर्फ़ मधु आजमाए हैं। खाल बात की मत निकालो जी, सत्य बात जहां महकाए हैं। चाल हाल सभी चले सरपट, समय ही यह सब सिखाए हैं। राज को अब राज रहने दो, और फूल सदा खिलाए हैं। चांदनी बन रात आई है, बोल प्यार नई सजाए हैं। चांद को जब से व देखी है, बैठ जान समा लगाए हैं। नाज रोज करें यहां हम सब, नज़र नज़र संग मिलाए हैं। अब रहे वह साथ संदीप सु, दिल लगा कर यार बिठाए हैं। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....