मोती लाल साहु 05 Jan 2024 शायरी दुःखद ग़म का मारा 9476 0 Hindi :: हिंदी
अपनों का दिया ये ग़म सहते-सहते, हम हुए- बेजार दिल ग़म सहते-सहते, सूख चुके- ये आंसू हम बेदम-बेघर हुए,, हम यहां- खो गए ये ग़म सहते-सहते।।।। -मोती
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