कांतिलाल चौधरी 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 9714 0 Hindi :: हिंदी
दिन है सर्दी का कोहरा छाया है। सरसों के सुमन पर रजत बिखरी पड़ी। भानु निकल रहा कि कोकिला चल पड़े भृग भाग रहे सरसों के सुमन पर क्या पता कैसी गमक जो सुबह-सुबह फूलों पर मानो सरसों के सुमन तो स्वागत करते भगवान का। कोहरा रूपी भगवान सुमन छाये हैं। सरसों के सुमन पर भोरें मंडराते हैं। समीर तो स्वागत करती जोर से लहर उठाती हैं। तब तो भानु भी आ जाता है कोहरा रूपी भगवान को घर तक पहुंचाने में।