रोhit Singh 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #poem #poetry #shayari #thought #रोhit Singh #Rohit_Singh_shayari 67499 0 Hindi :: हिंदी
अतीत को खुद से अलग रखो जो मिल रहा है जीवन में सबक रखो हर कोई यहां नसीहत सलाह का ज्ञानी है तुम बस ख़ुद पर ही अपनी नज़र रखो उजाले से तो माना रोशन है जहां सारा तुम बनके जुगनू अंधेरे की चमक रखो महक जाए चरित्र से क़िरदार तुम्हारा इस जहां में ऐसी अपने गमक रखो यह रास्ते ना भागे तुम्हारे पैरों से आगे..अब मंजिल पाने का कुछ ऐसा सनक रखो बिन माचिस के ही जलते हैं कामयाबी से जो हो सके तो उनके लिए भी थोड़ा नमक रखो