Ankur Gautam 23 Dec 2023 आलेख समाजिक 7166 0 Hindi :: हिंदी
आज मैं जिस विचार को आपके साथ साझा करनाचाहता हुं। वह इस प्रकृति में इंसान के अस्तित्व को बचाने के लिए बहुत जरूरी हो गया है।जैसा कि इस संसार का प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि इस जग में उसके लिए सबसे कीमती अगर कोई चीज है तो वह उसका अपना "तन"! परंतु आज इंसान थोड़ा अधिक धन कमाने के चक्कर न तो अपने तन की फिकर कर रहा और न ही दूसरे इंसान के तन की। आज मुझे यह देखकर बहुत दुख होता है कि कैसे इंसान खाने पीने की वस्तुओं में मिलावट करके समाज में मिलावट रूपी जहर परोस रहा है। इसके पीछे उसका एकमात्र उद्देश्य थोड़ा अधिक धन कमाना है। परंतु उसे यह ज्ञान नही है कि उसने ऐसा करके समाज मे अनेको लाइलाज बीमारियो को पैदा कर दिया है।जिसके कारण आज इंसान का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है ।क्योंकि यह वो मीठा जहर है जो आज की पीढ़ी को अंदर से दीमक की तरह अंदर से खोखला कर रहा है। अगर समय रहते कठोर नही उठाए गए तो इसके परिणाम मानव जाति के लिए बहुत ही घातक होंगे।