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परिंदे,,,,,,

KRESH KUMAR AHIRWAR 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #kresh_kumar_ahirwar 6974 0 Hindi :: हिंदी

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परिदे घर से निकले हैं,
ढूढने नए से निकलें हैं,
अपने झुझ के बीच में,
ढूढने अपना अभिमान,
थके हारे लगे रहते हैं,
पाने पूरा आसमां को,
परिदे निकलें हैं दुनियां,
को देखने कब क्या हों,
जाएं मतलबी दुनियां में,
परिंदे घर से निकले हैं,
पाने अपना अभिमान,
प्यार से मिलकर एक,
नाम से मशहूर हैं,
परिदे घर से निकलें हैं,
पाने अपना अभिमान,
जिंगदी से जंग से मुलाकात,
से मेरे इंतजार से निकलें हैं,
परिदे निकलें हैं अपनो में,
अपने पाने से निकलें हैं,
परिदे निकले हैं अपना 
अभिमान पाने परिंदे घर
से निकले हैं अपनो में
✍️क्रेश कुमार अहिरवार
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