Meenakshi Tyagi 02 Aug 2023 कविताएँ समाजिक थकान से टूटे हुए सभी ।। 9611 0 Hindi :: हिंदी
दूर कर दी हो जैसे समय की थकानो को पंख दे दिए हो जैसे मेरी इन उड़ानों को छूना चाहूंगी अब मैं भी आसमानों को पूरा करूंगी अब अपने दिल के अरमानों को दूर कर दूंगी भय और निंदा जैसे मन में बसे मेहमानों को गर्व से भर दूंगी अब दिल के हर तयखाने को हां, खुलकर कहूंगी अब मैं भी अपनी दास्तानों को।। धन्यवाद साहित्य लाइव🙏