Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ राजनितिक उलूल जुलूल 19891 0 Hindi :: हिंदी
खुजली वाले भैया खूब खुजली फैला रहे पानी फ्री बिजली फ्री घूम घूम के खूब बाट रहे पंजा बाली अम्मा दीदी और शहजादे अमेठी से वायनाड तक पाठ सबको उलूल जुलूल पढ़ा रहे कभी मुल्ला तो कभी पंडित बन सबके मन बहला रहे सत्ता के भूखे भैया को बहना तिलक लगायेंगी येशा दीदी ने ठाना हैं पर कैसे पार जाएगी मोदी नाम वैतरणी से ऊपर से योगी बाबा कुंडली मार के बैठे हैं जन्मकुंडली में विकट समस्या गंभीर परस्थिति हैं साथ वाले ही कर रहे मामा खुर्शीद चाचा थरूर दिग छुर छुरी छोड़ रहे कुर्सी के लालची सब कुर्सी कुर्सी खेल रहे