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खिलवाड़

Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 8202 0 Hindi :: हिंदी

कविता - ( खिलवाड़ )

वहशी ने किया शिकार !
हद कर दी सारी पार !!
मानवता हुई शर्मसार !
इंसानियत हुई तार - तार !!

शायद रोया होगा महाकाल !
नाम का तो रखता मान !!
बाबुल घर कर दिया अंधकार !
यह आफ़ताब का कैसा किरदार !!
वहशी ने किया शिकार !
हद कर दी सारी पार !!

श्रद्धा की श्रद्धा से खिलवाड़ !
नरभक्षी निकला प्यार !!
माँ बाप नहीं होते बेकार !
माँ बाप ने देखा संसार !!
वहशी ने किया शिकार !
हद कर दी सारी पार !!

इंसानी खाल में छिपा शैतान !
देखकर हुए सब हैरान !!
दरिंदगी की सभी हद कर दी पार !
ऐसा निकला वो ग़द्दार !!
वहशी ने किया शिकार !
हद कर दी सारी पार !!

हिंदू देवी देवताओं को जो देते गाली !
आफ़ताब ने ऐसी यारी पाली !!
कटे अंग करते फ़रियाद !
हे कल्कि तू ले ले अवतार !!
वहशी ने किया शिकार !
हद कर दी सारी पार !!

वहशियों के क्यों बढ़ रहे हैं हौसले !
शायद सिस्टम हैं हमारे खोखले !!
कानून का कब तक होगा बलात्कार !
क्यों मूक - बधिर है सरकार !!
वहशी ने किया शिकार !
हद कर दी सारी पार !!

बिस्तर तक ही सीमित होना !
प्यार का ऐसा रूप घिनौना !!
निर्भया भी अब गई है हार !
कब ख़त्म होगा यह अत्याचार !!
वहशी ने किया शिकार !
हद कर दी सारी पर !!

प्रथम पृष्ठ फिर अंतिम पृष्ठ !
अखबारों की रद्दी में होते रोज़ दफ़न !!
इन किस्सों से ही सजता अख़बार !
तभी तो बिकता यह अख़बार !!
वहशी ने किया शिकार !
हद कर दी सारी पर !!

विपिन बंसल 

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