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मिट्टी से निर्मित दीए ।

Shakuntala Sharma 30 Mar 2023 आलेख समाजिक # मिट्टी की सौगात# मिट्टी के दीये# देश की अर्थव्यवस्था 26952 0 Hindi :: हिंदी

हमारा देश हमेशा से कृषि पर आधारित रहा है। और अधिकांश लोग अपनी जीविका हाथ से निर्मित वस्तु को बाजार में बेचकर चलाते है। इसका मुख्य कारण यह है ' कि आज भी लोगों में शिक्षा का अभाव पाया जाता है। रोजगार सभी लोगो तक नही पहुंचता है । अनपढ़ व्यक्ति को रोजगार प्राप्त नही होने के कारण वह दिन मजदूरी करके ही अपने परिवार का भरण पोषण करते है। कुछ लोग मिट्टी से सामान बनाकर बाजार में बेचते हैं । दिपावली आने वाली है। कुम्हार मिट्टी के दीए बनाने में लगे हुए है। उनके चेहरे पर एक अजीब सी उम्मीद दिखाई देती है। शहर गली चौराहे और फुटपाथ पर अपनी दुकान सजाये बैठे है। पर देखा जाता है ।कि लोग मिट्टी के दीए खरीद कर जलना छोड़ चुके है। स्वदेशी वस्तु का उपयोग कम हो चुका है। विदेशी सभ्यता और विदेशी वस्तुएं को उपयोग में लेना अपनी शान समझते है। चाइना से आने वाली लाइटों से घर को रोशन करते है ।जिस वजह से मिट्टी के दीए बेचने वाले मजदूर हर बार मायूस हो कर बैठ जाते हैं। विदेशी सामान खरीद कर हम अपने देश का पैसा विदेशियों को दे रहे हैं । और हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर हमारा ध्यान ही नही जाता है । कहते है कि " घर में बच्चे भुख से तड़पते है। पर बाहर वाले छप्पन भोग लगाते है " । अगर हम सभी यह सोच ले कि इस बार दिपावली को मिट्टी के दीए खरीद कर लक्ष्मी पूजा करेगे । तो हमारी पूजा सफल होगी। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार मिट्टी और गोबर को ही सर्वोपरी माना जाता है। मिट्टी से घर आँगन लिप कर हम महा लक्ष्मी जी का स्वागत करते है । तो फिर मिट्टी से निर्मित दिए जलाकर अपने मजदूर भाईयो की मदद कर सकते हैं । इस तरह किसी गरीब को दो वक्त की रोटी मिल सकती है। इन की झोपड़ी में भी दिपावली मनाई जा सकती है।
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शकुन्तला शर्मा ।

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