संदीप कुमार सिंह 12 Jul 2023 कविताएँ अन्य मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5353 0 Hindi :: हिंदी
झूठी है यह सारी दुनिया, फिर रोने से नहीं कोई फायदा। गा ले तूं झूम के मस्ती से कर यारी, फौलाद बनकर छाओ हर डगर पर। प्यार में भी धोखा है, वफ़ा में भी धोखा है। यार भी झूठा दिल भी झूठा, फिर करें क्यों हम मलाला। मारकर ठोकर झूठी दुनिया को, फूलों का जला दे सीना। कांटों को हम चूम कर, मरुस्थल में भी बाग बना दें। दुश्मनों से हमने सीखा, सतर्क रहना बहुत जरूरी है। ज़ख्मों से सीखा है, भूल का हम सुधार करें। अरमानों की दुनिया बनाकर, जोश के सहारे बढ़ते चलना है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....