Shivani singh 28 Jul 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग 9707 0 Hindi :: हिंदी
प्रेम की भाषा सुन, सजनी रे, बिंदिया चमक रही है आँखों में। उठो, बसो नींद से हरियाली के पल, संग गीतों के लहराते हैं तन में।। सावन के बादल, मोहन की मुरली, मधुर सुरों में धुन बिखराते हैं। बंसी बजाते हैं, गोपियाँ नाचती, नीले घन के नीचे रास रचाते हैं।। देखो राधा, देखो कृष्ण की मिठी मुस्कान, प्रेम रस का भाव भरा संग में। खेलते हैं वे मिलकर जुबां से बातें, चाँदनी रातों में मिलकर चाँदनी।। बाँसुरी की धुन सुन, मोहे रस बरसाओं, मधुर संगीत से तार छेड़ों। आँचल से मोर रंग भरकर आए, आंगन में शोभा देखो बढ़ाओं।। प्रेम के रंग से रंग जाएं जीवन, मधुर रास रचाएं हम सजनी। भक्ति भाव से प्रेम जगाएं सभी, यही शृंगार रस का अर्थ जनी।। यही शृंगार रस की कहानी, प्रेम के संगीत से भरी। जीवन में जगाएं प्रेम के गीत, आनंद से जीते हैं सब विचारी।।