Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य बदली (बादल) 20955 0 Hindi :: हिंदी
करे बदली, मैं बरसूं-बरसूं। किसान करे, मैं तरसूं-तरसूं। करे धरती, मैं सरसूं-सरसूं। इंद्रचाप करे, मैं हर्षूं-हर्षूं। इनसे मत, जलती-भुनती जा। बदली, अर्ज़ी सुनती जा। बदली से, बन जा घटा। मिटा तपस, खोल जटा। ताल-तलैया, जल से अटा। धरती से, सौदा पटा। बूंदों की, चादर बुनती जा। बदली, अर्ज़ी सुनती जा। कृषक तुझे, दिन-रात भजे। बिन बरसे, धरा कैसे सजे? बरसे, तो मोती उपजे। बिन बरसे, गिद्धों के मज़े। धरा का, दर्द चुनती जा। बदली, अर्ज़ी सुनती जा। बदली, अर्ज़ी सुनती जा।