Ruby Gangwar 03 Mar 2024 कविताएँ समाजिक गरीबी एक अभिशाप, भूखे पेट, नंगे पांव 14818 0 Hindi :: हिंदी
इस दुनियां में गरीबी एक अभिशाप है, यहां ज्वालों से भी बढ़कर इसका ताप है, दिन –दिन भर मेहनत करना फिर भी रात में चैन की नींद न सो पाना ये होती है गरीबी, घर में बीमार पड़े बच्चे को डॉक्टर को दिखाने के लिए ख़ुद के पास पैसे न होना ये होती है गरीबी, कड़ाके की ठंड में नंगे पांव घूमते लाचार बच्चे, बूढ़े ये होती है गरीबी, कई दिनों तक घर में चूल्हा न जलना भूखे पेट रहकर दिन– रात गुजारना ये होती है गरीबी, रहने के लिए एक छत न होना फुटपाथ पर पूरा जीवन बिताना ये होती है गरीबी, अमीरों के घर जाना और उनके द्वारा बेइज्ज़त किए जाना ये होती है गरीबी, आओ मिलकर गरीबी को भगाते हैं, संघर्ष करें इतना कि जड़ से इसे मिटाते हैं ।