संदीप कुमार सिंह 22 Jun 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5782 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) नशा नाश का मूल है, इससे रहिए दूर। मंशा पूरी हो सभी, खुशियों में हो चूर।। नशा नाश का मूल है,इसको लगा न हाथ। कर्म सदा अपना करें, फल देंगें तब नाथ।। नशा नाश का मूल है, कितने घर बर्बाद। मूर्ख कभी भी मत बनें, जीवन कर आबाद।। नशा नाश का मूल है, घर में हो तकरार। जल्द नशा को छोड़िए, मन में रखिए प्यार।। नशा नाश का मूल है, रखें सर्वदा याद। मधुर पान ही कीजिए, प्रभु से कर फरियाद।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....