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मां

Saurabh verma 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद #मां#my love #mummypapa 87374 0 Hindi :: हिंदी

जब आंख खुली तो मां की गोदी का एक सहारा था,
उसका आंचल मुझको भूमंडल से प्यारा था ,
उसका स्तन पान किया तो मैंने जीवन पाया था,
मुझको बढ़ता देख मेरी मां का मन हरसाया था ,
उसकी गोदी में खूब खेला पैरों से प्रहार किया,
मुझे डांटने की जगह पर उसने मुझसे प्यार किया,
मेरी मां ही मेरी प्रथम गुरु और आचरण दिखलाती थी,
होठों को मेरे बोलना और अक्षर ज्ञान सिखाती थी,
क्या सही क्या गलत मेरी मां ने ही बतलाया था ,
बड़े जनो का आदर करना  मां ने ही सिखलाया था,
मुझे पालने के लिए उसने सबकुछ अपना त्याग दिया,
मैं गलत रास्ते पर न जाऊ इसका खूब प्रयास किया,
जब मैं खाने बैठू मेरे पास वो आ जाया करती थी ,
एक मांगता रोटी पर दो दे जाया करती थी,
मां अपनी करुणा वात्सल्य सब मूझपे ही दिखलाती थी,
दर्द मुझे होता और खुद रो जाया करती थी,
धीरे धीरे बड़ा हुआ मैं,
अपने पैरों पर खड़ा हुआ मैं,
बड़ा हुआ तो क्या हुआ मैं मां को अपनी भूल गया ,
पति पत्नी के चक्कर में अपना भूमंडल ही भूल गया,
जिससे सीखा उठना चलना उसका कोई उपकार नहीं,
जिसने सिखाया था बोलना उससे कोई व्यवहार नहीं,
हम भूल गए हर गलती पर उसने डांटा ,समझाया था,
बच जाऊ बुरी नजर से उसने काला टीका मुझे लगाया था,
जो मां जैसी देवी को घर में नहीं रख पाते है,
लाखो पुण्य भले कर ले इंसान नहीं बन पाते है,
पर मां तो मां है ना,
उसने सबकुछ सहा,
किसी से कुछ न कहा,
उनकी भी कुछ इच्छाएं थी ,
क्योंकि वो भी तो माएं थी,
मां आंगन की तुलसी जैसी , पावन पीपल की छाया है,
मां वेद उपनिषदों की गरिमा,मां महाकाव्य की काया है,
सातों सुर नृत्य है करते जब कोई मां लोरी गाती है,
मां जिस रोटी को छू लेती वो प्रसाद बन जाती है,
मां सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा ,अनुसूया मरियम सीता है,
मां पावनता में रामचरितमानस और भागवत गीता है,
मां तेरी हर  बात मुझे वरदान से बढ़कर लगती है,
सच बताऊं तो मां मुझे भगवान से बढ़कर लगती है ।।


                        ।। सौरभ वर्मा।।

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