हुकम चन्द जैन 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मां के घर से पहले सावन में बेटी की विदाई 56596 0 Hindi :: हिंदी
सावन बीता थम गए सेरे गरजे बादल भादो बरसे गौरी गई ससुराल पिया संग डालन से खुल गए झूले | अब सुनी गलियन कौन निहारे बरखा में सब बंद है द्वारे मात -तात की गई दुलारी अखियां सूनी और मन भारी | बाग है सूने नहीं है सखियां नहीं ठिठोली और वो बतियां एक दूजे से पूछे मन की कैसी बीती बिरह की रतियॉ | कैसे कहे किसे बताएं रात जागरण उठे सवेरे सावन बीता थम गए सेरे | सहे विरह के पल अब बीते पल अब नहीं हमारे रीते साजन का प्यार भरा मनुहार जिसके लिए हम थे तरसे सावन बीता थम गए सेरे |
I am 81 years old Now on wheel chair I was government contractor for construction works Very fond...