Barde Jyoti 28 Apr 2023 कहानियाँ समाजिक डर हमारे मण में छिपा रहता है, उसे बाहर आने नहीं दिया तो डराने वाले खुद डर कर भाग जाते हैं 6605 0 Hindi :: हिंदी
एक बार एक ब्राह्मण एक गाँव से दुसरे गाँव जा रहा था गाँव के बीच में एक हवेली थी जिसे भुतेली हवेली कहा जाता था उस हवेली से जाने वाले हर व्यक्ति को अजीब से भुत डराते थे, ब्राह्मण को शाम के समय ही रात को पैदल जाना था वो दुसरे गाँव जाता है अखेर कार वह उस भुतेली हवेली के पास आ ही जाता हैं रात बहोत हो रही थी उस ब्राह्मण को सुबह जल्दी जाना था इस लिए वो पैदल ही जा रहा था कच्ची सड़क होनेसे वहाँ पैदल ही जाना पड़ता हैं और डर के कारण वहाँ से कोई भी आता नहीं था . उस ब्राह्मण को कभी भी भुत से डर नहीं लगता था इसलिए वह बिना डरे जा रहा था मगर दिनभर बहोत काम करने के कारण वो बहोत थका हुआ था उसे लगता हैं , आगे जाकर आराम करुंगा पर तभी एक भुत वहाँ आता है उसे सताने लगता हैं बहोत डराता हैं पर वह बिल्कुल भी नहीं डरता यह देख भुत उसे कहता है तुम्हे मुझसे डर नहीं लगता क्या उसने कहा नहीं क्यों डरु मै तुमसे तुम तो एक हवा हो तभी थंड लगने लगती हैं तो वो ब्राह्मण हाथों को घिसकर मुह से फुंकने लगता हैं यह देख भुत उसे पुछता हैं तुम यह क्या कर रहे हों तो वह बोलता है कि मैं हाथों से थंड कम कर रहा हूँ, तो ब्राह्मण फिर आगे चलकर तीन पत्थर को रखकर चाय बनाने के लिए चुल्हा जलाता है चुल्हे की आग कमी होने लगती हैं तो फिरसे वह मुह से फुंक लगाता है यह देखकर वो भुत फिर से पुछता है अब क्या कर रहे हों, ब्राह्मण कहता है अब आग जला रहा हूँ, चाय हो जाती हैं और ब्राह्मण चाय को बर्तन में लेकर फिर से फुंक मारता है फिर से वह भुत उसे वही सवाल करता है, तो वो ब्राह्मण कहता है अब चाय बहोत गरम है इसलिए थंडी कर रहा हूँ, इस बार वह भुत बहोत ही डर जाता है उसे लगता हैं यह ब्राह्मण जरूर कोई बड़ा तांत्रिक बाबा है वो, फुंक मारकर हाथ गरम करता है, वही फुंक मारकर आग जलाता है और तो और वही फुंक लगाकर चाय थंडी भी करता मतलब यह बहुत बड़ा तांत्रिक है, मुझे भी फुंक मारकर कही नष्ट किया तो वह डरकर बहोत ही जोर से भाग जाता हैं. अगर हम अपना डर मण में ही दबाए रखे तो हमें डराने वाला खुद डरकर भाग जाता हैं!