मोती लाल साहु 30 Mar 2023 शायरी समाजिक ज़िंदगी में अपने वजूद का अनुभव, दुनिया में झूठ चले बिना पैर-मन फ़िरे लोक-परलोक-मेला लगा माया का- जिसमें फिरता एक मुसाफिर। आती-जाती हरेक श्वास में कटती यह जीवन की राह, घोर कलियुग में धरा पर सहज-सुलभ, विमल-ज्ञान की धारा बहती। युग-युग से यह संदेश चली आई हरेक श्वास में मोती मिलता, चुन-चुन भर ह्रदय का प्याला-ख़ाली हाथ जाना नहीं। 6374 0 Hindi :: हिंदी
दुनिया में- झूठ चले बिना पैर, मन फ़िरे लोक-परलोक मेला लगा माया का- जिसमें फिरता एक मुसाफ़िर आती-जाती हरेक श्वास में- कटती है यह जीवन की राह घोर कलियुग में- धरा पर सहज-सुलभ, विमल-ज्ञान की धारा बहती युग-युग से- यह संदेश चली आई, हरेक श्वास में मोती मिलता चुन-चुन- हृदय का प्याला भर, ख़ाली हाथ जाना नहीं ज़िंदगी में- अपने वजूद का-अनुभव -मोती