Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

ज़िंदगी में अपने वजूद का अनुभव

मोती लाल साहु 30 Mar 2023 शायरी समाजिक ज़िंदगी में अपने वजूद का अनुभव, दुनिया में झूठ चले बिना पैर-मन फ़िरे लोक-परलोक-मेला लगा माया का- जिसमें फिरता एक मुसाफिर। आती-जाती हरेक श्वास में कटती यह जीवन की राह, घोर कलियुग में धरा पर सहज-सुलभ, विमल-ज्ञान की धारा बहती। युग-युग से यह संदेश चली आई हरेक श्वास में मोती मिलता, चुन-चुन भर ह्रदय का प्याला-ख़ाली हाथ जाना नहीं। 6374 0 Hindi :: हिंदी

दुनिया में-
झूठ चले बिना पैर,
मन फ़िरे लोक-परलोक

मेला लगा माया का-
जिसमें फिरता एक मुसाफ़िर

आती-जाती हरेक श्वास में-
कटती है यह जीवन की राह

घोर कलियुग में-
धरा पर सहज-सुलभ,
विमल-ज्ञान की धारा बहती

युग-युग से-
यह संदेश चली आई,
हरेक श्वास में मोती मिलता 

चुन-चुन-
हृदय का प्याला भर,
ख़ाली हाथ जाना नहीं

ज़िंदगी में-
अपने वजूद का-अनुभव
-मोती

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

मेरे नजर के सामने तुम्हारे जैसे बहुत है यहीं एक तू ही हो , मोहब्बत करने के लिए यह जरूरी तो नहीं read more >>
मीठी-मीठी यादों को दिल मैं बसा लेना जब आऐ हमारी याद रोना मत हँस कर हमें अपने सपनों मैं बुला लेना read more >>
Join Us: