छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर विशेषः
छत्तीसगढ़ राज्य गठनःः
कोसा की अधिकता के कारण प्राचीनकाल में छग ‘दक्षिण कोसल’ कहलाता था। श्रीराम की माता कौसल्या, कोसलाधीश की सुपुत्री थी और दक्षिण कोसल की राजधानी कोसला, बिलासपुर का एक ग्राम था।
यह क्षेत्र ऐतिहासिककाल में मौर्य, सातवाहन, गुप्त व वाकाटक साम्राज्यों का अंग था। 16वीं शताब्दी में कल्चुरियों और 1741 में मराठा साम्राज्य का हिस्सा बन गया। 1818 में यह ब्रिटिश हुकूमत के अधीन चला गया।
‘छत्तीसगढ़’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग खैरागढ़ राजा लक्ष्मीनिधि राय के चारणकवि दलपत राय के द्वारा 1497 में किया गया था। रतनपुर राजा राजसिंह (1689-1712) के राजाश्रय प्राप्त कवि गोपाल मिश्र के द्वारा भी अपनी कृति ‘खूबतमाशा’ में छग का उल्लेख किया है।
रतनपुर के इतिहास-लेखक बाबू रेवाराम ने भी 1896 में अपनी रचना ‘विक्रमविलास’ में कोसल क्षेत्र को ‘छत्तीसगढ़’ कहा है।
आजादी के आंदोलन के दौरान छग राज्य की कल्पना करनेवाले पहले व्यक्ति पं. सुंदरलाल शर्मा थे। आजादी के बाद ठाकुर रामकृष्ण सिंह, डा. खूबचंद बघेल, दशरथ चैबे, केयूरभूषण, हरिठाकुर आदि नेताओं ने छग राज्य निर्माण की मांग की थी, लेकिन राज्य पुर्नगठन आयोग की अनुशंसा पर उसे 1 नवंबर 1956 को मप्र राज्य में मिला दिया गया।
मप्र से पृथक करने के लिए 1980-1990 के दशक में छग में व्यापक जनांदोलन हुए। इसका कारण यह था कि छग, मप्र से सांस्कृतिक, भौगोलिक, प्रशासनिक, आर्थिक, खनिज और मानव संसाधन की दृष्टि से सर्वथा अलग था।
इसके लिए छग के विधायकों ने 18 मार्च 1994 को मप्र विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित करवाया। 25 मार्च 1998 को राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए इसके लिए प्रतिबद्धता व्यक्त किया। मप्र विधानसभा ने 1 मई 1998 को शासकीय संकल्प पारित किया।
25 जुलाई 2000 को लोकसभा में प्रस्तुत विधेयक को 31 जुलाई 2000 को पारित किया गया। 9 जुलाई 2000 को भी राज्यसभा में संशोधन विधेयक पास हुआ।
28 अगस्त को भारत के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधेयक मप्र पुनर्गठन अधिनियम 2000 बन गया। फलतः 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ भारत संघ के 26वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।
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