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इन्सानियत जपनी चाहीए

ज्योती महादुले 05 Jun 2023 कविताएँ समाजिक 🏵️ 6576 0 Hindi :: हिंदी

कहते है इन्सान को 
इन्सानियत जपनी चाहीए!
मानवता के प्रती ,माणुसकी जपनी चाहीए!
प्रेम से भरनी चाहीए ,सबकी झोली
प्रेम ही एक सत्य है, जग बताना चाहीए!!धृ

इस जग में कितनी है, दिन जनता !
भाग्य‌ बदलने उनका,
चाहें पडे आग से खेलना !!
किसने देखा हे यहाँ, कौन किसका !
पर मानवता को,जिंदा रखना काम आपका
बस्स कुछ मन आपको,
 उजालो से भरना चाहीए !!
फुल वो सितारे बनके चमकते जाएगें !!१!!
  ंं
भगवान पुजते ही क्या, भगवान मिलते !
भगवान कहते हम, तुम्हारे भितर रहते !!
मानव साफ रख ,अपना मन अमृत जैसे !
व्देष ,गुस्सा,लोभ का उसमें ,
कुछ अंश ना बचाए !!
लोह को भी परीस 
अपने कर्म से करना चाहिए !!२!!

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