मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक #बजर करके छोड़ेगा# मारूफ आलम# समाजिक शायरी# राजनीतिक शायरी# इंकलाबी शायरी 58895 0 Hindi :: हिंदी
और कितना बवंडर करके छोड़ेगा वक़्त क्या सब खंण्डहर करके छोड़ेगा हाकिम खुश है अपने फैसलों पर लगता है सब बंजर करके छोड़ेगा ये क्या कम है तूने दिल बांट दिये देश का और क्या मंजर करके छोड़ेगा तेरी जद मे दरख्तों के साये जल गये अब इंसानों को भी क्या पंजर करके छोड़ेगा उसकी जिद से तो यूँ लगता है'आलम' वो लाशों पे खुद को सिकंदर करके छोड़ेगा मारूफ आलम शब्द- अर्थ पंजर-हड्डी का ढांचा