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एकलव्य

Abhijit Kumar Singh 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #hindipoems #hindisadpoetry #sadpoetry #poetryinhindi #hindikavita #sadkavita #poems #poetry #hindisadpoetryandpoems #hindi #indianhindipoetry 38308 0 Hindi :: हिंदी

धनुष था मेरे बाणों का दर्पण 
चमत्कारी वैभव भुजाओं में 

निषाद पुत्र का अंश सवेरा 
चला था स्वर्ण बहारों में 

नादान अनजान बालक था मै 
वहां समर्पित थी शिक्षा राजाओं में 

प्रतिमा को समर्पण मेरा 
शीश था गुरु द्रोण की जंघाओं में 

गूंज रहा था कला का कौशल 
उन उच्च ज़ात राजकुमारों में 

लेने आ गए गुरु दक्षिणा 
दे दिया अंग उपहारों में 

उठी थी मेरी शौर्य चिंगारी 
महाभारत के छिपे कुछ सारों में 

मै ही  वो एकलव्य जिसका 
 बलिदान हुआ कपट और अहंकारों में 

लेखक - अभिजीत कुमार सिंह 

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