Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य आधा आधा 86218 0 Hindi :: हिंदी
मैं फूल तू काटा फिर भी दोनों आधा आधा तू मुझ से दुखी दुखी फिर भी रक्षा करता हैं मैं कोमल नाजुक कली तू निठुर काटा फिर भी दोनों आधा आधा मैं सीस लगाया जाता मुझ बिन कुछ न हो पता न पूजा न पाठ डोली मुझ बिन न सज पता न अर्थी न बाजार फिर भी सखा पैरो तल कुचला जाता हूँ तू तो फिर भी काटा छोड़ो मित्र दुनिया दारी तू मेरा हैं मैं तेरा आज से रहा करार मैं फूल तू काटा फिर भी दोनों आधा आधा