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चाहोगे तो क्या नहीं होगा?

संदीप कुमार सिंह 30 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 13942 0 Hindi :: हिंदी

चाहोगे तो क्या नहीं होगा?
बस अपने अन्दर में,
जोश का ज्वाला जगाना होगा।
और ऐसा करिश्माई,
चमत्कार दिखाना होगा।
कोई भांपे तो भांप न सके,
कोई नापे तो नाप न सके,
कोई जांचे तो जांच न सके,
और कोई अलग करना चाहे,
तो अलग न कर सके।
जैसे फूल से खुशबू,
जुदा नहीं हो सकती,
और पानी से तरंग,
 जुदा नहीं हो सकती।
आग से जलन,
जुदा नहीं हो सकती,
बर्फ से ठंढ़क,
जुदा नहीं हो सकती,
और तुमसे,
तुम्हारी परछाई,
जुदा नहीं सकती।
तो तुम_मैं_ सब,
 और ये सारा जहां,
ऐसा फूल बन जाए।
जिसके खुशबू में,
तैरते हुए ये जिन्दगी,
जिंदादिली की मिशाल,
बन जाए।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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