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अटखेली में डूबकर- मैंने देखा खूब

संदीप कुमार सिंह 28 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 4270 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
अटखेली में डूब कर, मैंने देखा खूब।
भागे तब दुखड़ा सभी,लगूं भव्य महबूब।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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