Meenakshi Tyagi 08 Feb 2024 कविताएँ समाजिक Shivani, Aruna 6719 0 Hindi :: हिंदी
मैं खुश हूं, हा मैं बहुत खुश हूं,😊 नही हूं मैं परेशा कि किसी ने मेरी बगिया में खिलते गुलाब को तोड़कर जमीन पर बिखेरा है, मैं खुश हूं क्योंकि कल फिर से नए फूल खिलेंगे मेरे उपवन में, हां इसलिए मैं खुश हूं।😊 नही हूं मैं परेशा कि किसी ने छीना है मेरा प्रिय सपना मुझसे, मैं खुश हूं कि ईश्वर ने मुझे हर रोज नए सपने देखने का हुनर बक्शा है, हां इसलिए मैं खुश हूं।😊 नही हूं मैं परेशा किस्मत के रोने धोने में खुदा ने खुश रहना ही मुझे नज़र कर रखा है। हां इसलिए मैं खुश और खुश और बहुत खुश हूं।😊😊