Jitendra Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग जितेन्द्र शर्मा, Jitendra Sharm, पत्नी से पंगा। व्यंग कविता, पत्नी से पंगा, वंदना इंटर कॉलेज नरंगपुर 13049 0 Hindi :: हिंदी
कविता-पत्नी से पंगा! रचना- जितेन्द्र शर्मा। तिथी- 13/02/2023 बेशक मैं कुल का वाहक हूं, वो दो दो कुल की प्यारी है। समय न पढ़ पाया जिसको, उलझी हुई पुस्तक नारी है।। मैं सदियों का प्यासा प्राणी, वो है पावन निर्मल गंगा। अब तुम ही कहो मैं कैसे लूं, पत्नी से पंगा। मैं ग्रीष्म रितु की शुष्क धरा, वो शीतल मन्द पवन जैसी। निश्चित मैं ऊंचा पर्वत हूं, किन्तु वो नील गगन जैसी। मैं रोगी वो औषध है, उस बिन कैसे रहूं चंगा। अब तुम ही कहो मैं कैसे लूं, पत्नी से पंगा। मैं घर की नाव का खेवैया, वो मेरी सेना की नायक। कभी वो शीतल जल जैसी, कभी वो बन जाती पावक।। उससे ही घर में शान्ति है, अन्यथा हो जाये दंगा। अब तुम ही कहो मै कैसे लूं, पत्नी से पंगा। सम्पन्न।