ब्राह्मण सुधांशु "SUDH" 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद प्यार, धोखा, जुदाई, इश्क़, मोहब्बत 7864 0 Hindi :: हिंदी
कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी कैसे भूलोगी वो हमारा साथ चंद दिन जो गुजारे थे हमने साथ कैसे भूलोगी वो साथ कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी कैसे भूलोगी तुम वो मेरा हाँथ याद है ना तुमने जिससे खाना खाया था खाना तुमने खाया स्वाद मुझे आया था कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी कैसे भूलोगी मेरा तुम्हारे माथे को चूमना और तुम्हें बेवजह ही मेरा निहारते रहना तुम्हारे पूछने पर कि क्या हुआ जी मेरा बस कुछ नहीं बेटा कहना कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी कैसे भूलोगी वो मेरा हाँथ जो तुम्हारे बालो मे घुमा करता था बिखरे तुम्हारे बालो को सजाया करता था कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी कैसे भूलोगी वो हमारी अख़िरी मुलाकात जब हमारी गाड़ियां हमे बुला रही थी मै तुमसे गाड़ी छोड़ देने की जिद पर था हम जल्दी ही मिलेंगे तुम्हारा मुझे बहलाना भारी मन से मैंने तुम्हें सीट पर बैठाया था आखिरी मिलना है तुमसे मै जानता था फिर भी मैंने एक सपना सजाया था सपना टूटा दिल टूटा मगर अफसोस नहीं है इन यादो मे मै खुश हूं क्या तुम ख़ुश नहीं हो कभी तो याद आएगी ना तुम्हें मेरी सुनो ना आएगी ना