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मकसद

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #मकसद पर कविता #रामवृक्ष बहादुरपुरी, अम्बेडकरनगर #अम्बेडकरनगर कविता 81691 0 Hindi :: हिंदी

कविता -मकसद

ज्ञान मंजिल तक पहुंचाता है 
पर मंजिल का पता हो 
ध्यान मकसद तक ले जाता है 
अगर ध्यान मकसद पर डटा हो 
चूर चूर हो जाते हैं सारे सपने 
जब मार्ग ही लापता हो 
इच्छाएं सपने उद्देश्य पूरे होते हैं 
जब खुद में समर्पण की दक्षता हो 
कहते हैं कर्म ही पूजा होती है 
जब कर्म की सही दिशा और दशा हो 
आपके चरित्र तय करते हैं मकसद 
इसलिए हमेशा चरित्र में शुद्धता हो 
मकसद तय होता है कुछ करने से 
ना कि धन दौलत या कपड़ा फटा हो 
जो चाहा वह ना मिले जब जीवन में 
कभी निराश ना हो, ढूंढो कमी या खता को
भरोसा ही भविष्य के मकसद है 
जब खुद में जज्बा और निष्ठा हो
राह तय होता है हौसलों से
फर्क नहीं हस्तरेखा हों या हाथ कटा हो
कहीं जीवन के अर्थ व्यर्थ न हो और
न लगे कि बिना पूंछ का कोई जानवर छुटा हो
बिना सपनों का जीवन कैसा?
पर सपना खुली आंखों से देखा गया हो

रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी, अम्बेडकरनगर

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