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मौसम आया है जवाँ-मन की आँखें खोल

संदीप कुमार सिंह 22 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5237 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
मौसम आया है जवाँ,मन की आँखें खोल। 
तुम भी बन जा अब जवाँ,हद में रहकर बोल।।

होता हृदय उदास जब,पी लें हम मधु घोल।
मधुर मधुर फिर सृजन कर,मन की आँखें खोल।।

मन की आँखें खोल कर,जाएं बन अनमोल।
अपनी सरल पहचान से,दुआ भरी लें बोल।।

सूरत सीरत है कमल,जादू जैसी बात।
मन की आँखें खोल कर,करो सुहानी रात।।

मन की आँखें खोल कर,आ जा मेरे पास।
सारा सुख जग का मिले,सदा रहोगी खास।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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