Samar Singh 23 May 2023 गीत दुःखद गम के पिछले दिन याद आते है, बहुत दुःख होता है। 6361 0 Hindi :: हिंदी
गुजरा हुआ कल मेरा, आके सामने मेरे हँसने लगा। मैं आश्चर्यचकित था, डर से काँपने लगा। उसने गम का ऐसा झलक दिखलाया, तस्वीर दिखा उसने ऐसा हमें रुलाया। हमें तनहाइयों के सागर में डुबाने लगा, गुजरा हुआ कल मेरा, आके सामने मेरे हँसने लगा। फिजाओं में खिजा के बहार को लाया, दुःख की सहमी- सहमी ठंडी हवाओं ने बताया। जिक्र करके मेरे हालात को हमें रुलाने लगा, गुजरा हुआ कल मेरा, आके सामने मेरे हँसने लगा। रचनाकार - समर सिंह " समीर G "