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मेरी कहानी

Poonam Mishra 24 Nov 2023 कहानियाँ समाजिक मेरी कहानी मेरी जुबानी 19486 0 Hindi :: हिंदी

कल रात से जब से मां का फोन आया है मैं थोड़ा विचलित सा महसूस कर रहा हूं ।
बहुत दिन हो गया मैं अपने घर वाराणसी नहीं गया पता नहीं क्यों?
 जब से मैंने अंकिता से शादी की मेरे माता-पिता को मेरा यह लव मैरिज करना पसंद नहीं था परंतु मैं अंकित से बहुत प्यार करता था और मैंने उससे शादी कर ली।
 उनका नापसंद करने का कारण यह भी हो सकता है कि मैं ब्राह्मण हूं और हमने अपनी ब्राह्मण जाति से अलग विवाह किया है ।
जो कि मेरे पिताजी को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया परंतु मैं क्या? करूं मैं अपने दिल के हाथों मजबूर था मेरी शादी कर लेने के पश्चात मेरे पिताजी मुझे कभी-कभी ही यदा-कदा बात करते हैं ज्यादातर मैं मम्मी से ही बात करता हूं ।
कल रात जब ममा  का फोन आया और उन्होंने कहा कि तुम्हारी पापा की कुछ तबीयत ठीक नहीं है तुम बनारस चले आओ कुछ दिनों के लिए तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अंकिता को बताया उसने मुझे कहा कि" आपको तुरंत बनारस जाना चाहिए "
और हम दोनों ने आपस में कुछ निर्णय की और मैं वाराणसी के लिए निकल  पड़ा ।
वाराणसी के लिए मैं जैसे ही ट्रेन में बैठता हूं थोड़ी ही देर में ट्रेन चल देती है और मैं बाहर की तरफ देखकर के सोचने लगता हूं कि मैं कितना स्वार्थी हूं! मैंने सिर्फ अपने बारे में सोचा !और मुझे पता नहीं क्यों ?अपने आप  से ग्लानी ‌महसूस होने लगा ।कि मैं अपने मम्मी पापा का उतना ख्याल नहीं रख पाता हूं। जितना कि मुझे रखना चाहिए और पापा मुझसे बात नहीं करते परंतु मम्मी मुझे कुछ-कुछ घर के हालातो के बारे में बताती रहती हैं ।मेरे पिताजी की 1 मेडिकल स्टोर की दुकान है और मेरा पूरा परिवार एक किराए के मकान पर रहता है मुझे याद आ रहा है जब मैं 4 साल पहले बनारस आया था तो मैं अपने पिताजी को अपने और अंकिता के बारे में बताया तो वह बिल्कुल भी शादी को तैयार न थे। और काफी देर तक हम दोनों में बहस हुई अंत में मैं गुस्सा होकर घर छोड़कर निकल गया !
 पहली बार यह घटना घटित हुई कि मैं जब हैदराबाद के लिए जा रहा था तो मेरे पापा मुझे स्टेशन छोड़ने नहीं आए ।
क्योंकि वह मुझसे नाराज थे ।
मैं भी न जाने क्यों गुस्से में घर से निकल गया और सिर्फ फोन से ही बात करता रहा।
 मुझे याद आ रहा था कि जब मैं इंटर की परीक्षा दी ।और मैं आईआईटी के परीक्षा में पहली बार में पास नहीं कर पाया था तो कैसे पिताजी मुझे कोटा ले जाने के लिए बहुत परेशान थे ।
और आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद भी वह मुझे कोटा पढ़ने के लिए भेजें ।
क्योंकि मैं वहां जाना नहीं चाहता था मैंने कई बार मम्मी से कहा कि मैं नहीं जाना चाहता हूं मैं यहीं रहकर पढ़ाई कर लूंगा। परंतु नहीं पापा की जिद थी क्योंकि मैं उनकी इकलौती संतान हूं और वह चाहते थे कि मैं किसी अच्छे संस्थान से पढ़कर बाहर निकलू ।मैं जब कोटा गया तो भी पिताजी से बहुत नाराज था कि वह मुझे जबरदस्ती यहां ले आए मैं सिर्फ मम्मी से बात करता:
 कभी-कभी तो मम्मी से बात करता ।
मैं पढ़ाई नहीं भी कर रहा होता तो मम्मी से बोल देता है कि 'मैं पढ़ाई कर रहा हूं 'मुझे फोन मत करो तो मुझे पापा की आवाज पीछे से सुनाई देती वह बोल रहे होते हैं कि "हर समय राज को फोन क्यों करती हो पढ़ाई में डिस्टरबेंस होता है "पढ़ने दो उसे  " जबकि मुझे घर की याद बहुत आती थी मैं बहुत रोता था। कि मुझे बनारस जाना है शायद मेरा बचपना  होगा मेरे माता-पिता मेरे भले के लिए कर रहे होंगे ।
खैर मैं अच्छे से मेहनत से पढ़ाई की और मैं मुंबई आईआईटी में मेरा सिलेक्शन हो गया और मेहनत रंग लाई मैं एक अच्छे मल्टीनेशनल कंपनी में काम भी करता हूं अच्छा पैकेज भी है ।
मेरा तो सब बढ़िया चल रहा है परंतु जो पिताजी मुझसे बात नहीं करते कहीं ना कहीं मेरे मन में यह जरूर खलता रहता है ।मैं सोचने लगा कि इस बार जाऊंगा तो मम्मी पापा को अपने साथ लेकर हैदराबाद आऊंगा समस्याएं ही खत्म हो जाएगी ।
अकेले रहते हैं वह लोग मैं जिद करूंगा वैसे तो मैं बहुत जिद्दी हूं। परंतु अपने पापा के आगे हार जाता हूं 
न जाने कब पुरानी बातें सोचते सोचते मैं वाराणसी पहुंच गया ।मैंने देखा कि वाराणसी का बहुत विकास हुआ है अगर विकास नहीं हुआ तो मेरे पापा के जनरल स्टोर की दुकान का और मेरे घर का ।
मैं घर पहुंचता हूं तो मेरी मम्मी मुझे देखकर बहुत खुश होती है तुरंत दौड़ के मुझे गले लगा देती है क्योंकि मैंने उन्हें आने की खबर नहीं दी थी वह किचन में कुछ काम कर रही होती हैं मेरी मनपसंद खीर बना रही होती हैं और मुझे देखकर कहने लगी "पता नहीं क्यों ?राज ऐसा लग रहा था कि आज तुम आओगे! इसीलिए मैं तुम्हारे मनपसंद का खाना बनाने लगी !
मैं खुश हो गया हां *मम्मी मां बेटे का ऐसा रिश्ता ही होता है "की पता चल जाता है मुझे भी तुम्हारे बारे में सब पता चल जाता है .
कि तुम कब दुखी हो कब खुश हो गई हो ।
तभी अचानक मेरे घर की बेल बजती है मैं खुद जाकर दरवाजा खोलता हूं तो देखता हूं मेरे पापा होते हैं वह मुझे देखकर बहुत खुश हो जाते हैं मैं उनको प्रणाम करता हूं और वह मम्मी को आवाज देते हुए बोलते हैं देखो पूनम राज आया है  !इतना कहकर वह अपने कमरे में चले जाते हैं !
उनकी नाराजगी मुझे महसूस होती है ,मैं भी उनके पीछे-पीछे कमरे में जाता हूं ,,उनसे कुछ बात करने की कोशिश करता हूं परंतु वह किसी से फोन पर बात कर रहे होते हैं ।मैं फिर बाहर आ जाता हूं कुछ ही देर बाद पिताजी अपने दुकान चले जाते हैं मैं अपनी मम्मी से बहुत देर तक बैठे बातें करता रहता हूं ।
रात के समय खाने के टेबल पर जब मैं पापा का इंतजार कर रहा होता हूं और मम्मी पापा को बुलाने जाती है कि,, चलो राज के साथ खाना खा लेते हैं,, इतने दिन के बाद आए हैं बेटा ...पता नहीं क्यों ?पापा बोलते हैं तुम जाओ उसके साथ खा लो ..मुझे भूख नहीं है ..मम्मी आई है मेरे साथ बैठकर खाती हैं ..और मैं भी थोड़ा बहुत खाकर अपने रूम में चला जाता हूं ….मेरे रूम में जाने के बाद पापा बाहर आते हैं और मम्मी से बोलते हैं" उसने अच्छे से खाया तो 'पता नहीं कैसा खाना बनाती होगी"

 अच्छे से खाया ना ?
मुझे ऐसा लगता है कि वह मेरी चिंता तो बहुत करते हैं ।परंतु मेरी किसी बात से वह बहुत नाराज है। मैं कमरे में बैठे-बैठे सोचता हूं और महसूस करता हूं ।
कि मम्मी काफी दुर्बल हो गई है पिताजी भी काफी कमजोर हो गए हैं।
 उनको बहुत दिनों से टाइफाइड हुआ था इसलिए काफी कमजोर हो गए थे 
मुझे रात भर नींद नहीं आती है। पता नहीं क्यों दिमाग में काफी कुछ उलझन से बेचैनी परेशानी से महसूस होती है ।
सुबह उठकर मम्मी मेरे लिए नाश्ता लगती है मैं मां से बोलता हूं कि ,,,मैं आ रहा हूं ,,, मैं तुरंत बाहर निकल जाता हूं क्योंकि मुझे कुछ आवश्यक कार्य कुछ दिनों में ही पूरा करना था 
क्योंकि मेरे पास समय बहुत कम था काम बहुत ज्यादा था।
 मैं निकल जाता हूं कुछ काम करने फिर मैं जब वापस आता हूं तो रात हो चुकी रहती है ।उसे रात मैंने देखा कि पापा मेरे साथ खाना खा रहे थे।
 खाने के बाद मैंने पापा से कहा कि "पापा पास में जहां आइसक्रीम खाया जाता था" बचपन में आप मुझे खिलाते थे मैं आपको वहां ले जाकर आइसक्रीम खिलाना चाहता हूं! तब पापा बोलते हैं तुम अभी इतने बड़े नहीं हुए की मुझे कुछ खिलाओ ..मैं हंस देता हूं मैं कहता हूं *ठीक है आप ही खिलाइऐगा ...लेकिन चलिए मेरे साथ ''मम्मी पापा हम तीनों आइसक्रीम की दुकान तक जाते हैं ।
खाकर वापस लौटते समय मेरी बचपन से आदत है पत्थर उठाकर यूं ही दूर-दूर फेंकता हूं... कितनी दूर तक पत्थर जा रहा है.. मैं आगे *आगे चल रहा होता हूं पीछे से पिताजी मम्मी से कह रहे होते हैं ;इसका बचपन अभी तक गया नहीं ;
बचपन में भी जब भी आइसक्रीम खाने आता था ऐसे ही पत्थर फेंकता था।
 पता नहीं कब सुधरेगा वह मम्मी से कहते रहते हैं ,,,,तुम्हारे लाड़ प्यार ने इसे बिगाड़ दिया है ,,,नहीं तो मैं इसे सुधार देता !
बातें करते-करते हम घर पहुंच जाते हैं।
 समय इतनी तेजी के साथ बीत जाता है मुझे पता ही नहीं चलता मेरा हैदराबाद जाने का समय आ गया ...
कुछ दिन वाराणसी रहने के दौरान मुझे पता चला कि पिताजी के दुकान का किराया न देने की वजह से मकान मालिक ने दुकान खाली करने के लिए कहा है !
घर का किराया भी जमा ना कर पाने की वजह से मकान मालिक घर को खाली करने के लिए कहा है।
 क्योंकि मेरा बचपन तो इसी किराए के घर पर ही गुजारा है मां को मेरे इस घर से बहुत लगाव है।
 जब मैं आया था उसी दिन मां ने बताया था कि हम लोग एक छोटे से घर में शिफ्ट हो रहे हैं ।
क्योंकि यह घर बहुत बड़ा है ।
और तुम चले गए हो तो इतने बड़े घर की जरूरत भी नहीं है।
 हम और तुम्हारे पापा एक फ्लैट काफी है
 हम दोनों के लिए चुकी मां ने मुझे बताया था।

 मैं मन ही मन सोचने लगता हूं मां पिताजी आपने मेरे लिए बहुत किया अब मेरी बारी है.. आप अकेले इतना संघर्ष कर गई मेरे रहने से क्या फायदा....
 कुछ दिन तक रहने के पश्चात मेरा हैदराबाद जाने का समय हो जाता है माता-पिता के साथ में इतने दिन कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला!
  मुझे अब हैदराबाद जाना है जिस दिन मुझे जाना था मां सुबह से ही मैं बहुत परेशान थी ...मेरे लिए तरह-तरह का खाना बना रही थी हमने आज मम्मी को बोल रखा था कि ...मम्मी आज तुम इतना अच्छा खाना बनाना जैसे कि तुम त्योहार पर बनाती हो.. आज पूरी बनाना. खीर बनाना. और कढ़ी बनाना. बड़ा बनाना. जो कि पापा को बहुत पसंद है.. वह खाना बनाना जो पापा को पसंद है तुम्हें पसंद है और जो तुम्हें पसंद है वह हमें भी पसंद है...
 मैं अपने कमरे में सामान पैक करने लगा पापा हाल में बैठे पेपर पढ़ रहे थे ।मम्मी किचन में मेरे लिए खाना बना रही थी तभी अचानक हमारे घर कोई  आता है।
 पापा दरवाजा खोलते हैं सामने मकान मालिक होता है पापा उसे देखकर के उन्हें बाहर चलने के लिए कहते हैं ।
और कहते हैं कि ,,मैं आपका किराया सब दे दूंगा ,बस कुछ दिन की और समय दीजिए ।

तभी आवाज आती है कि शर्मा अंकल बोल रहे होते हैं नहीं ,,नहीं,, आज मैं भाभी के हाथ का चाय पी कर जाऊंगा... पापा बोलते हैं ठीक है लिए,, बैठीये आज मेरा बेटा जाने वाला है ...मैं आपके पूरे पैसे की व्यवस्था कर दूंगा .…शर्मा अंकल आकर बैठ जाते हैं ।तब वह कुछ हाथ में कागजात लिए  रहते हैं.. जो पापा को पकड़ाते हैं ये लीजिए ..यह आपका है।
 पापा अचानक से पेपर पढ़ते हैं। और मां को तेज आवाज में बुलाते हैं बोलते हैं.… पूनम देखो ?तुम्हारे राज ने यह क्या किया!! तुम्हारे लाड- प्यार ने इसे ऐसा बना दिया है ...मां दौड़कर किचन से आती है और एकदम परेशान होकर बोलती है क्या किया?
 अब राज ने!
 पापा वह कागजात मां को पकड़ाते हैं और न जाने क्यों? चश्मा उतार कर रोने लगते हैं... मां भी जब उन पेपर को पढ़ रही होती है ...तब वह दौड़कर मेरे कमरे की तरफ आती है! मैं तो कमरे के बाहर खड़ा सब ध्यान से देख रहा होता हूं!! मैं मां के पास पहुंचता हूं मां न जाने क्यों? मुझे पकड़ कर रोने लगती है !सामने शर्मा अंकल बैठे हम तीनों की हरकत को देख रहे होते हैं  मैंने महसूस किया कि उनकी भी* आंखों में आंसू आ जाते-है जाते समय उन्होंने पापा से कहा कि आप अपने बेटे पर गर्व करिए.. दुकान और आपका यह घर अब आपका है मैं तो इस घर को खाली करके बेचने ही वाला था। किसी न किसी को बेचता ही आपने खरीद लिया।
 और अच्छी बात है शर्मा अंकल चले गए न जाने क्यों?
 हम तीनों एकदम शांत; थे


 कभी-कभी मध्यमवर्गीय परिवार में अगर अचानक से कभी कोई खुशी आ जाती है तो मुझे ऐसा महसूस होता है कि हम लोग अपने आंसुओं से ही उस खुशी को व्यक्त करते हैं!... मां पापा दोनों एकदम स्तब्ध.. खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं था.. हम तीनों मिलकर खाना खाऐ ।

अब मेरा ट्रेन पकड़ने का समय हो गया था.. पापा मां को हिदायत दिए जा रहे थे !
ध्यान से देखना वह काफी सामान  छोड़ कर चला जाता है ।वह बहुत लापरवाह है ...पता नहीं क्यों ?मुझे हंसी आ गई.. कि अभी तक वह मुझे बच्चा ही समझते हैं...

 आज मुझे स्टेशन पर छोड़ने  मां पापा दोनों मेरे साथ है। जब मैं ट्रेन में बैठ गया तो पापा ने धीरे से कहा कि ....अगली बार आना तो बहू को साथ लेकर आना!

 मेरी खुशी से ठिकाना ना रहा... मैं अपने पापा के गले लग गया.. और न जाने क्यों ?
मुझे इतनी खुशी हो रही थी कि मैं उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता,,,, मैं अपने पापा को बहुत प्यार करता हूं ...परंतु उसे कभी कह नहीं पाता.. मैं पापा से बोलता हूं थैंक यू पापा!
 जो आपने मेरी पसंद को स्वीकार किया ।
और हां! हम...ने भी आपकी सारी बातें मानी है बस एक बात नहीं मानी ..उसके लिए मुझे माफ कर दीजिएगा ..माता-पिता वहीं स्टेशन पर बैठे रहे कुछ ही देर में मेरी ट्रेन चल देती है। मैं देखता हूं.. की ट्रेन जैसे जैसे चलती है वह दोनों भी ट्रेन के साथ-साथ चलने लगते हैं ..मैं मां को चिल्ला कर बोलता हूं मम्मी !जाओ !पापा जाओ !लेकिन वह दोनों लोग ट्रेन की स्पीड से मुझे जितनी दूर तक चल सकते हैं ...देखते रहे ..और कुछ ही देर में मैं मुगलसराय स्टेशन छोड़कर आगे बढ़ गया... वाराणसी से लौटते समय मुझे बहुत सुकून सा महसूस हो रहा था ।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था तभी अंकिता का फोन आता है! और वह बोलती है सब ठीक से हो गया ना ?
मैं बोलता हूं हां !
और मैं उसे बताता हूं कि तुम्हें मेरे माता-पिता ने स्वीकार कर लिया है 
वह बहुत खुश हो जाती है ...बोलती है थैंक यू !

अगली बार मैं भी आपके साथ बनारस चलूंगी ......…..


स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा

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