संदीप कुमार सिंह 12 Jul 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत मेरी यह गज़ल समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 4670 0 Hindi :: हिंदी
#बहर:_2122,2122,212 (गज़ल) बस मुलाकातें ज़रूरी आज़ है, सनम का दिल से खातिरदारी आज़ है। जिन्दगी में प्यार के ही फूल हो, कायनातों में फूलों की झड़ी आज़ है। चाहतों की पुकार भी हद बात है, मेरे दिलों से यादगारी आज़ है। बादलें गम का दिखाई जब पड़ें, साथ कर लें यार यारी आज़ है। चांद का ही आगमन हम राज़ है, संदीप प्रेम कर ही अब करारी आज़ है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह ✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....