Bholenath sharma 17 Feb 2024 कविताएँ समाजिक तेरे द्वार प्रिय 9590 0 Hindi :: हिंदी
शाम बिताते यहीं पर तेरे द्वार प्रिय मधुशाला , तुम दूर कहाँ हो सकते मेरी प्रिय मधुशाला । श्रम करते आते है फिर करते है विश्राम तनिक मात्र पीते ही मिट जाती है हर पीड़ा हर गम ।