संदीप कुमार सिंह 16 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5918 1 5 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) प्रेम रंग में लीन हैं,खुशियाँ लिए हजार। सारी सीमा तोड़कर, पर्वत के उस पार।। सारी सीमा तोड़कर,किया सरल व्यापार। जो था पूंजी सब लगा,फिर भी हूं बेकार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
8 months ago
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....