Km Shalini 26 Sep 2023 कविताएँ समाजिक #हार#हार को हराना#जीत की तैयारी #कुछ कर जाना है 16328 0 Hindi :: हिंदी
हर दिन जैसे मेरी, शाम गुजरती है, मेरे सब्र का वो, इम्तिहान लेती है। हर दिन मेहनत में, निकल जाता है, परिणाम नहीं पर, कुछ आता है। हार हार के भी, हार कभी नहीं मैंने मानी, दिल दिमाग दोनों ने,कुछ करने की है ठानी हार अगर हम मान गए, कुछ कर नही पाएंगे, सारा जिंदगी बस फिर, रोते रह जायेंगे।।