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माँ से प्रेम

Abdul Qadir 03 May 2023 कविताएँ समाजिक माँ से प्रेम 5852 0 Hindi :: हिंदी

मां के जुमले में ममता और बचपन की किलकारीहै, 
 
मां तो आखिर मां होती है मां की बात ही न्यारी है।
 
मेरे गीले बिस्तर पर वह रात बिताया करती थी  , 
 
सूखा बिस्तर मुझको देती मुझ पर ही बलिहारी है।

गर्मी के मौसम में जब तेज धूप आ जाती थी। 

 अपने आंचल से छाया देने की, की उसने तैयारी है।
© abdul qadir

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