संदीप कुमार सिंह 12 Aug 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 4979 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) मैं झूमता हुआ बादल मेरी तुम बावली। मदहोश जवानी सूरत तेरी है साँवली। कसमें न तोड़ना हमको न छोड़ना कल्पना_ तुझे देखने को ये नजर रहती उतावली। सपनो की परी बन जब तुम सामने आती हो। रेशमी वस्त्रों में लिपटी अति झिलमिलाती हो। जन्नत सा नजारा का दर्शन कर मैं होता खुश_ बेपनाह मोहब्बत मुझको तुम दे जाती हो। देखा जो सूरत आपका नजर में प्यार आ गया। यह जानकर दीवाने सभी भी अब खूब जल गया। आँखों का कसूर था दिल ने यह किया है स्वीकार_ तेरे करम से मेरा अब संसार ही बदल गया। मोहब्बत से चलती है दुनिया। फिर सजती है मानव की गछिया। दौलत से नहीं ताकत से नहीं _ आपसी मेल से चलती दुनिया। आज आओ आयत की तरह मिल जाऊं। आमने सामने होकर प्रिय खो जाऊं। आनन्द की ज्योति मन में जगमगा उठे_ सारा फासला ही अब खत्म कर जाऊं। खुद पर कर एतबार मैं,खुशियों से जीवन जीता। हर हाल में भी मैं दिव्य,मुहब्बत का जाम पीता। बिछड़ों को सदा मैं खुशी,से करूं मिलाप का काम_ तभी तो मेरी ज़िन्दगी,बनी हुई है नित रीता। बीवी जो भी अब कहे,लेना है यूं मान। उसका ही अधिकार है,मेरा वही जहान। जब चाहे डांटे मुझे,नित्य करे अब कत्ल_ सुबह शाम हाजिर रहूं,बस अब यही निदान। लालच जो मैं किया, बुरा हुआ तब हाल। छूटा सब दोस्त है,गड़बड़ है अब काल। बस पछतावा मिले, कुछ कर नहीं सकता_ सही राह चल रहा, निश्चय सुधरे चाल। आज रात है अति खुशी,होगा भव्य विवाह। हृदय मिलेंगे झूम कर,होगी नूतन चाह। खुशियों की बरसात से,महफिल में है जोश_ लड़की लड़का हैं सजे,सब मुख करते वाह।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....