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फितरत-इन्सान की फितरत है कभी नहीं बदलती है

DINESH KUMAR KEER 27 May 2023 कविताएँ समाजिक 6555 0 Hindi :: हिंदी

फितरत... 
इन्सान की फितरत है कभी नहीं बदलती है 
वक्त के साथ लोग बदल जाते है
चूहा पत्थर का हो लोग पूजा करते है जिंदा हो तो बिना मारे दम नहीं लेते ओर सांप पत्थर का हो तो पूजा करते है 
जिंदा हो तो सब मारते हे वैसे ही इन्सान तस्वीर मै हो तो पूजा करते पकवान का भोग लगाते उनको जिंदा इन्सान को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं तो किस काम का आपका इन्सान होना जिंदा रहते सबकी कद्र करें पाप ओर पुण्य सब यही धरती पर है, इन्सान हे तो इन्सानियत को जिंदा रखे यही मानव जीवन का सच है...

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