YOGESH kiniya 30 Mar 2023 आलेख समाजिक त्योहार 22581 0 Hindi :: हिंदी
त्योहार हुलस रहा माटी का कण-कण,उमड़ रही रस धार है। त्योहारों का देश हमारा, हमको इससे प्यार है॥ ऐसे गीत और कविताएं इस बात का प्रतीक है, कि हमारे देश में त्योहारों का क्या महत्व रहा है। भारतवर्ष के लोगों के जीवन की सरसता और समरसता का बहुत बड़ा कारण यहां के त्योहार है। यह त्योहार ही भारत की संप्रभुता को एक धागे में पीरोकर रखते है। वरना ईद की सवइयां का स्वाद एक हिन्दू पड़ोसी कभी नही जान पाता । और ना ही एक मुसलमान भाई की कलाई पर हिन्दू बहन रक्षा बंधन के दिन राखी रूपी कलावा बांध पाती। त्योहार हमारे जीवन में जोश,उमंग और नवजीवन का संचार करते है । त्योहारों की बदौलत ही हम विशाल भारतवर्ष के प्रत्येक राज्य की संस्कृति , रीति रिवाज ,भाषा और वेशभूषा को समझ और जान पाते हैं। त्योहार के दिन तो दुश्मन भी दोस्त बनकर पुराने गीले शिकवे दूर कर लेते हैं। हमारे इस प्यारे भारतवर्ष में सारे त्योहार बहुत ही अदब और भाईचारे के साथ मनाए जा रहे थे। परंतु पिछले कुछ दशकों से इस त्योहारी महक की फिजा में कुछ स्वार्थी लोगों ने ऐसा विषैला जहर घोला है कि अब त्योहार भी मज़हबी लगने लगे हैं। यह ज़हर राजनितिक कारणों से घोला जा रहा है या आर्थिक कारणों से यह तो घोलाने वाला ही जानता है। परंतु इतना तो तय है की देश के शुकून और चैन को छीनने वाले इन लोगों का ना तो कोई मज़हब है और ना कोई धर्म । भाई चारे के प्रतीक इन त्योहारों पर खून की नदियां बाही जा रही है। एक धर्म दूसरे धर्म को शक और डर की नजर से देख रहा है । नहीं ,ऐसा तो नहीं था मेरा प्यारा भारतवर्ष । अगर मानवता के इन दुश्मनो के हौसले बढ़े हैं तो इसमें कहीं ना कहीं जिम्मेवार हम भी है। खैर, अब इतना समय नहीं है की हम एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करे। अब केवल करने योग्य जो कृत्य है वो यह है की इस प्रकार के मानवता के दुश्मनों को हम अपने धर्म, समाज और क्षेत्र से बैदखल करे ताकि भविष्य में ना तो कभी इनकी दूषित छाया हमारे त्योहारों पर पड़े और ना ही कोई इनके जैसा समाज कंटक पैदा हो।
Senior teacher Swami Vivekanand government model school siwana, Barmer...