संदीप कुमार सिंह 11 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5927 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) चक्कर काटे खूब तो,खुशी भरी हो रात। बादल काजल है लगे,पानी है अभिजात। सावन करे कमाल नित,आए मन में प्रेम_ भोली सूरत सामने,करती रहती बात। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....