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अपने पैर ,वापस नहीं आती,।

कविता पेटशाली 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 76112 0 Hindi :: हिंदी

और ,फिर ,मुझे लिबाज ,वो, पहनाया, गया, दोस्तो।
मैं ,दुनिया को सुन्दर ,हास्य ,कविता ,लगूं,।
मगर यह जो चार ,आंखें ,उस वक्त मुझे देखती ,होंगी,।
इनके ,आगे ,वो गुलजार ,था ,। जिसे, मिटाने में ,किसी को सदियाँ ,लगी,।
यह सब सोचते ,होंगे ,जरूर,।भला ऐसे ,कौन ,?किसी अपने के ,हाथों पला था,।
इस ,दस्तावेज ,पर मुम़कीन, हर ,वो जज़्बात रोया होगा,।
जिसने ,फूलों ,सी नाजुक ,देखी थी यह कविता,।
किसे ,था ,याद भला ,वजूद अपना ,।
दुनिया ,की मार्चिंग से था ,भयभीत इक कागज,।
यह वह कविता ,रही ,।
देह जिसका ,अपने के हाथ से ,जिन्दा ,जला था,।
मगर ,प्रेम की बाजी तो देखो,दोस्तो।
जिस ,वक़्त अपना ,यह श्रृंगार ,उतरा होगा, ना,।
गुलजार ,इक मौत ,से लड़ा होगा ,।
कोई ,खुशहाल अपना सफ़र कर गया,
मगर ,यह ,वह ,प्रेम कि कविता रही , 
जो ,अपने, पैर,पर ,लौट कर वापस, न, आ सकी,।
फर्क उन्हें ,कैसा दोस्तो,।
उन्हें ,तो शहर भी तब सुहाती है,जहाँ ,कि हवा ,कविता नहीं पड़ती हो,।
और ,यह वह कविता है,।
जिसे गाँव ,वह ,सुहाता है ,जहाँ,उनके लिए ,हमदर्दी हो,।
गुलजार ,यह जब मौत ,ने बक्सा ,होगा,।
सत्य तो यह बात है,।
वह अभागा ,पति ,आज भी कविता के ,लक्ष्य का होगा,।
मुहब्बत ,खाली कहाँ,।जाती है,दोस्तो,।
यह तो वह दास्तां है,।
जो, टूट कर भी ,घुटनों के बल ,कविता गाती है,।।
कविता पेटशाली ✍️









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