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रूहानी मेरा प्यार-प्यार एहसास है रूह से महसूस करो

Chanchal chauhan 13 Feb 2024 कहानियाँ प्यार-महोब्बत बस ऐसा ही है मेरा प्यार जो आज भी मेरे हृदय में जिंदा है बस दिल से सजदा किया जाए 9776 0 Hindi :: हिंदी

प्यार एहसास है रूह से महसूस करो

 हमने देखी है उनकी आंखों की महकती खुशबू 



 यह पंक्तियां धीमे-धीमे गुनगुनाती मैं सहसा आज से 35 साल पूर्व में चली गई।

 प्यार के अहसास होने और दिलाने का कोई दिन निश्चित हो या कोई तिथि निश्चित हो ऐसा मेरा मानना नहीं ।

 जब आपको प्यार का एहसास हो या एक दूसरे से प्यार को व्यक्त करना हो तो वह दिन कोई भी हो वह दिन वैलेंटाइन डे होता है ।



यह कहानी है मेरे सच्चे प्यार की । इस प्यार के लिए मैंने अपनी प्यार भरी दुनिया बनाई ।

कहते हैं कि जिस प्रेम का विरोध ना हो वह कभी अमर नहीं हो पाता । सहसा ऐसा ही मेरे साथ हुआ ।

 आज भी वह पहली मुलाकात और मेरे उनकी एक नजर आज भी मेरे शरीर में सिहरन पैदा कर देती है। उस समय को याद कर मेरा शरीर आज भी पहले जैसा रोमांचित हो जाता है जैसे 35 साल पूर्व में था ।

जॉब का पहला दिन मैं जल्दी तैयार हो कर घर से बस स्टॉप और फिर अपने ऑफिस जा पहुंची । ऑफिस में प्रवेश करते ही मेरी नजर मेरे केबिन के पास वाले केबिन में बैठे नवयुवक पर पड़ी जो बेहद स्मार्ट ,विनम्र, साधारण और खूबसूरत था । सफेद शर्ट पहने हुए उसकी आभा विलक्षण लग रही थी । वह मुझे देख बड़ी खूबसूरती से मुस्कुराया ।

 कहते हैं ना कभी कभी किसी की नजर व मुस्कुराहट सब कुछ बोल जाती है और वह भुलायी नहीं जाती । बस ऐसे ही मेरे साथ हुआ ।

 आज मेरा पहला दिन था । मैं अनजान अपरिचित हल्की सी मुस्कुराहट के साथ मैंने अपने केबिन में प्रवेश किया । दिनभर ऑफिस के कामों में व्यस्त रही । जैसे ही ऑफिस के बंद होने का समय हुआ मेरा केबिन से बाहर निकलना और उसका भी संयोगवश अपने केबिन से बाहर निकलना एक बार पुनः फिर सहयोग बन गया । एक बार फिर वही मुस्कुराहट उसके चेहरे पर थी उसकी मुस्कुराहट के प्रतिउत्तर में मेरी भी मुस्कुराहट थी ।मैं उससे बोलने का साहस ना कर सकी क्योंकि आज मेरा पहला दिन था । मैं सभी से अनजान और अपरिचित सोचा था कि पहले दिन सब से औपचारिक मिलना होगा परंतु नए काम को समझने में मुझे वक्त लग गया और ऑफिस बंद होने का समय हो गया । हल्की मुस्कुराहट लिए मैं ऑफिस से निकल बस स्टॉप पर जा पहुंची और फिर घर ।

आज घर में जैसे सब मेरा ही इंतजार कर रहे थे । ऑफिस का पहला दिन जो था । सबने ऑफिस के बारे में पूछा और बातें करते करते वह नव युवक और उसकी मुस्कुराहट फिर याद आ गई । जब बातचीत खत्म हो गई तब मैं मंद मंद मुस्कुराते अपने कमरे में चली गई ।

फिर वही अगली दिनचर्या । आज जैसे ही मैं ऑफिस पहुंची तो मेरी निगाह उस नवयुवक पर पड़ी जो अपने केबिन मैं बैठा हुआ था ।जब 

मेरी निगाह से उसकी निगाह मिली तो हम दोनों के चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी । आज मैंने सभी से औपचारिक हाय हेलो की और सभी का नाम पूछा । औपचारिकता के दौरान पता लगा है कि उस नवयुवक का नाम पार्थ था तथा वह दिल्ली का ही रहने वाला था । धीमे धीमे हम दोनों के बीच बातें होने लगी । काम के सिलसिले में एक दूसरे से पूछना काम को समझने में एक दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने लगे । पार्थ की सादगी और विनम्रता से मैं बेहद प्रभावित थी ।उसे जैसे दूसरों के लिए जीना पसंद आता था । बहुत व्यवहारिक और सरल ह्रदय ।

प्रेम में आकर्षण बेशक चेहरे से होता है परंतु ठहराव व्यवहार से होता है ।

धीमे-धीमे मेरी औपचारिकता खत्म हो गई । मेरी मुलाकात होने लगी । उसका साथ अब मुझे अच्छा लगने लगा मुझे कोई भी परेशानी होती तो मैं उसके पास तुरंत चली जाती । मुझे ऐसा लगने लगा कि उसका साथ मुझे रूहानियत की तरफ ले जा रहा है ।पता नहीं चला कि मुझे उससे कब और क्यों प्यार हो गया ।इसका कोई उत्तर मेरे पास नहीं था । पार्थ का नाम आते ही मेरा चेहरा गुलाबी हो जाता । एक अलग विलक्षण आभा मेरे चेहरे पर आती । सोचा कि शायद यही प्यार है ।



प्यार होता है अंधेरे और उजाले के बीच

प्यार होता है काले और सफेद के बीच

दिन को रात से

सूरज को चांद से

 नदियों को कंकड़ से

पानी को पत्थर से

प्यार है

ऐसा ही मेरा और पार्थ का प्यार है। मेरी और पार्थ के बीच बढ़ती नजदीकियां सब लोगों के बीच चर्चा का विषय बने लगी कहते हैं ना कि इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते । अब मुझे लगने लगा कि हम दोनों के लिए इस प्यार को सहेज कर रखने के लिए इसको विवाह का नाम दे दिया जाए । मैं यह सोच रही थी कि पार्थ ने मेरे समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा जो कि मेरे दिल में था ।मैंने तो सहज ही स्वीकृति दे दी परंतु एक बहुत ही बड़ी कठिनाई थी कि दोनों के माता-पिता इस विवाह के लिए तैयार ही नहीं थे ।

पार्थ को मैंने स्पष्ट कर दिया था कि

मेरा प्रेम अनछूआ है

मेरी प्रीत है कुंवारी

मैं किसी और को ना दूंगी

 जो जगह है तुम्हारी

मैं उसे कैसे भुला दूं

जो मेरी नस नस में है

मेरा सब कुछ माटी है

अगर मेरा प्यार मेरा नहीं ।

 पार्थ के अथक प्रयास और हमारे प्यार को देख दोनों परिवार इस विवाह के लिए तैयार हो गए।



 वह प्यार क्या जो जताया जाए

वह एहसास क्या जो कराया जाए

वह अनुभूति ही क्या जो कराई जाए

वह स्पर्श क्या जो छूआ जाए

यह तो एक इबादत है

जो दूर रहकर भी

बस दिल से सजदा किया जाए ।।

  बस ऐसा ही है मेरा प्यार जो आज भी जिंदा है  एहसास में अनुभूति में स्पर्श में मेरे ह्रदय मे ।

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