Aniket 30 Mar 2023 कहानियाँ हास्य-व्यंग लेखिका : वीना शर्मा By : आदर्श शिक्षा इंस्टीट्यूट 17881 0 Hindi :: हिंदी
हंसो, कि हंसने पर कोई पाबंदी नहीं है। उस पर कोई जीएसटी, कोई नोटबंदी नहीं है।।1।। दुनिया पर बोझ है जिसके चेहरे पर मायूसी है। उजाला है वो जिसके ओठों पर हंसी है। हंसिए! हां हंसिए! हर पल खिलखिलाकर, हंसिए! मनचाहा पाकर, हंसिए न भी पाकर।।2।। हंसिए उन पर जो गिरते हैं, गिरते जाते हैं, सम्हलते ही नहीं। अपनी रफ्तार बेढंगी जो कभी बदलते ही नहीं।। राजनीति में आज ऐसे कई सिरफिरों का जमघट है। अब तक है नाक चढ़ाए, जबकि उनका ऊंट उलटी करवट है।।3।। कोस रहे हैं सांप्रदायिकता को, ईवीएम को उस धाकड़ के हर निर्णय को। चुनौती दे रहे हैं जन-मन के विवेक को, चुनाव आयोग की निष्पक्ष कार्य की लय को।। जो निर्लज्ज हो सारे शुभ परिवर्तनों को नकार रहे हैं। जाने कितनी तरह से अपनी खीझ उतार रहे हैं।।4।। हंसो लालू पर जो जा फंसे हैं कोर्टों के दलदल में। हंसो नीतीश पर जो डगमग हैं, लालू पुत्रों की आकांक्षाओं की हलचल में।। हंसो युवराज पर जो यूपी से बेआबरू होकर निकले, हंसो केजरीवाल पर जो चित हुए अपनी ही पार्टी के दंगल में।।5।।